परिचय
लोकगीत
हिमाचल प्रदेश की लोकनृत्य विधाएं
किन्नौरी लोक-नृत्य किन्नौर मे लोक नृत्य के तीन रूप अधिक प्रचलित है। इसमें क्यांग, वक्यांग और बनियांगचू लोक नृत्य अधिक लोकप्रिय है।
कुल्लू के लोक नृत्य कुल्लू निवासियों का कोई भी पर्व तथा त्योहार लोक नृत्य, लोक संगीत, नाचते-गाते, खेल-तमाशों के बिना सम्पन्न नहीं होता। प्राकृतिक तौर पर समूचा कुल्लू अत्यन्त मनोहर और समृद्ध स्थल है। कुल्लू नाटी और सिराज के मेलों की एक अलग पहचान है। यहाँ के लोक नृत्य को कुल्लू नाटी भी कहते हैं। कुल्लवी परिधान में अपनी अनुठी पहचान होने के कारण वाद्य-यन्त्रों की लय और शहनाई की धुन पर जब कुल्लूई संगीत प्रारम्भ होता है तो नाचने वाला अनायास दिल की मस्ती में झूम-झूम कर नाचने लगता है। कुल्लू के लोक नृत्य में आध्यात्मिक और दैविक अनुभूति भी देखने को मिलती है। कुल्लू टोपी में फूल, गले में फूलों के हार लोक नृत्य में स्त्रियां कान में फूल लगाकर लोक गीत गाकर कुल्लूई लोक नृत्य करते हैं।
शिमला क्षेत्र के लोक नृत्य शिमला क्षेत्र में खंजरी, डमरू, नगाड़ा, ढोलक, शहनाई, करनाल और नरसिंहा प्रमुख वाद्यन्त्र है। इन क्षेत्रों के लोक नृत्यों में ढीली नाटी, फूकी नाटी, माला नाटी, घुगती नाटी, तुरिण ठोडा, मुंजरा इत्यादि प्रचलित है। नर्तक दल के आरम्भ में नाचने वाले को धूर का नर्तक कहते हैं। फूकी नाटी में नर्तक दल आधा दायरा बनाकर खड़े होकर नाचते हैं और एक नर्तक दूसरे नर्तक को नहीं छूता है।
सिरमौर के लोक नृत्य सिरमौर के लोग सादा जीवन कठिन परिश्रम शांतिप्रिय और धार्मिक निष्ठा से जुडे़ है वर्ष भर के कठिन जीवन में सरसता लाने के लिए समय-समय लोक गीत, लोक धुन और नृत्य इस क्षेत्र के प्रमुख लोक मनोरंजन का साधन है। इस क्षेत्र में लोकनृत्यों में अधिकतर पुरूष ही नाचते है, कहीं-कहीं स्त्रियाँ भी नृत्य करती हैं। सिरमौर के नृत्यों में गीह, नाटी, रथेवला, रासा, स्वागटे इत्यादि मुख्य है। इनके अतिरिक्त अन्य पहाड़ी लोक नृत्य भी बडे चाव से प्रदर्शित किये जाते हैं। गीह नृत्य ढोलक, खंजरी, खड़ताली वाद्य यंत्रों की लय पर नृत्य किया जाता है। इस नृत्य में पाँच तालियाँ लगती हैं। गीह को मुंजरा भी कहते हैं। मुंजरा विशु, देवयज्ञ, रिहाली, शादी इत्यादि अवसरों पर शाम से सुबह तक यह नृत्य किया जाता है। गीह गायनटी मुख्य नृत्य होता है। गीह नृत्य में नर्तक गाने वाले के मध्य में नाचता है।
लाहौल स्पिति के लोक नृत्य लाहौल-स्पिति में लोक गीत, लोक नृत्य साथ-साथ चलते है। मुख्य रूप से यहाँ के नृत्य दो प्रमुख रूपों में प्रदर्शित होते है -एक है लोक रूप और दूसरा धार्मिक रूप जो कि बौद्ध विहारों में ही होता है। शैनि और शब्बू लोक नृत्य को अधिकतर बौद्ध विहारों में ही भगवान बुद्ध की प्रतिमा के सामने प्रदर्शित किया जाता है। यह पूर्ण रूप से धार्मिक है। इसके साथ कोई भी संगीत नहीं बजाया जाता केवल नगाड़ा और बांसुरी ही बजाते हैं। शब्बू नृत्य एक सामाजिक नृत्य है। यह नृत्य बौद्ध मठों के बाहर सामाजिक उत्सवों में प्रदर्शित किया जाता है। नृत्य की गति धीरे-धीरे तीव्र होती जाती है। लाहौल-स्पिति में जोमे नृत्य स्त्रियों का प्रिय नृत्य है। स्त्रियाँ एक दूसरे का हाथ पकड़ कर नृत्य करती है। छम नृत्य- यह धार्मिक नृत्य है और बौद्ध गोम्पा में प्रदर्शित किया जाता है। नर्तक बार-बार एक ही शैली में नाचते हैं। इस नृत्य में लामा लोग ही भाग लेते हैं। नर्तक चमकीले और भड़कीले वस्त्र-आभूषण पहन कर जानवरों, पक्षियों और प्रेतों के चमकीले मुखौटे पहनते हैं। नर्तक विभिन्न प्रकार के आठ मुखौटे पहनते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य नृत्य के प्रकार भी लाहौल-स्पिति में जैसे की -ग्रीफी नृत्य, शौन नृत्य, शीनी नृत्य, छोपड़ा नृत्य, गरे नृत्य, जबरू नृत्य इत्यादि प्रचलित है।
लुड्डी नृत्य लुड्डी नृत्य मण्डी क्षेत्र के समतल क्षेत्रों में किया जाने वाला लोकनृत्य है । लुड्डी का मतलब लुड़कना अर्थात् लोट–पोट होकर नृत्य करना। यह नृत्य महिला एवं पुरूष द्वारा पारम्परिक वेश–भूषा पुरुष सिर पर पगड़ी, चोला, पजामा तथा महिला कलाकार मलमल के चोलू, चूडीदार पायजामी तथा दुपट्टा व पारम्परिक आभूषण पहनकर लोकवाद्य यन्त्र की धूनों तथा लोकगीत गाकर लुड्डी नृत्य करते हैं ।
घुरेई नृत्य मुख्य रूप से मेले जिसे जातर भी कहते हैं । चैत्र महीने में माता सुनैना की याद में पूरे महीने भर में केवल महिलाओं द्वारा चम्बा स्थित सूही माता मंदिर में अपने पारम्परिक वेश–भूषा, लोकगीतों को महिलाओं द्वारा गाये जाने पर लोकवाद्य यंत्रों की धुनों पर घुरेई नृत्य मुख्य रूप से चम्बा में किया जाता है । डंडारस नृत्य यह लोकनृत्य चम्बा के भरमौर क्षेत्र में किया जाने वाला नृत्य है । यह नृत्य लोकवाद्य यन्त्र नगाडा, रणसिंघा, काहल, बांसुरी, इत्यादि वाद्य यंत्रों की ताल पर पारम्परिक वेश–भूषा पहन कर करते हैं । डंडारस नृत्य डंडे से खेलने वाला नृत्य है।
गद्दी नृत्य यह नृत्य चम्बा के गद्दी जनजाति के लोगों द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में महिला एवं पुरुष अपने पारम्परिक वेश–भूषा के परिधानों में सुसज्जित हो कर नृत्य करते हैं । यह नृत्य मेले, त्यौहारों एवं अन्य मांगलिक उत्सवों पर किया जाता है ।
गिद्धा पडुआं यह नृत्य सोलन, बिलासपुर, कांगड़ा, ऊना, मण्डी, हमीरपुर इत्यादि क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा मुख्य रुप से विवाह शादियों तथा अन्य मांगलिक कार्यों के आयोजनों में किया जाता है। पंजाब में भी गिद्धा प्रचलित है, परन्तु प्रदेश का गिद्धा पंजाब से भिन्न है । यह नृत्य अर्द्धचन्द्राकार में किया जाता है । अधिकतर यह नृत्य विवाह परम्परा से जुड़ा है, जब बारात वधु के घर चली जाती है तो उसके पश्चात् घर की स्त्रियां घर पर पडुआं नृत्य करती हैं ।
झमाकड़ा झमाकड़ा नृत्य प्रदेश के निचले क्षेत्रों जैसे– कांगड़ा, हमीरपुर,बिलासपुर इत्यादि में किया जाने वाला नृत्य है । इस नृत्य का प्रचलन जिस समय बारात वधू के द्वार पर आ पहुंचती है, उस समय गांव की महिलाएं पारम्परिक वेश–भूषा में,घघरी, कुर्ता, चुड़ीदार पायजामा तथा आभूषण में चांदी का चोक, कण्ठहार, चन्द्रहार, नाक में नथनी, पैरों में पायजेब पहन कर बारात का स्वागत करते लोक गीतों में उन्हें मीठी–मीठी गाली, सिठनियां, हंसी–मजाक कर झमाकड़ा लोकनृत्य करती हैं । इस नृत्य में ढोलक, बांसुरी, खंजरी इत्यादि लोक वाद्य यन्त्र शामिल किये जाते हैं ।
मुखौटा नृत्य यह नृत्य जनजातीय क्षेत्र किन्नौर तथा लाहौल–स्पिति में किया जाता है । इस नृत्य में देवताओं तथा पशुओं के मुखौटे पहनकर स्थानीय ताल पर पौराणिक एवं पारम्परिक सन्दर्भों का प्रयोग कर इन्हें नृत्य शैली में प्रस्तुत करते हैं ।
हिमाचल प्रदेश के लोकनाट्य
ठोडा ठोडा हिमाचल प्रदेश के युद्ध परंपरा से जुड़ा लोक नाट्य है। यह लोकनाट्य शिमला, सिरमौर तथा सोलन में नाटी के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है। ठोडा महाभारत युद्ध की याद ताजा करता है। यह खेल बैशाखी के दिन से लेकर श्रावण के अंत तक ग्राम देवता मंदिर के सामने खुले आंगन या समतल खुले स्थानों पर खेला जाता है। स्थानीय जनुश्रुति के अनुसार कौरवों की संख्या सौ नहीं साठ थी इसलिए उन साठ की संतान को शाठा कहते है। पाण्डव पांच ही थे उनके वंशज पाठा या पाशा कहलाते है। शाठी लोग पाशी को खेल के लिये बुलाते थे तो दोनों दल अपने आराध्य देवता की पूजा के पश्चात् फारसो, डंडों, गडासों, धनुष–बाण और तलवारों से आपस में ठोडा खेल खेलते है।
बांठडा लोकनाट्य बांठडा का प्रचलन अधिकतर मण्डी तथा उसके आसपास के क्षेत्र में है। किसी समय बांठडा राजमहलों का लोकनाट्य था । बांठडा के आरम्भ में शिव, गणपति और सरस्वती की पूजा की जाती है। इसके अतिरिक्त जहां बांठडा किया जा रहा है वहां स्थानीय देवता की अराधना भी की जाती है। इसमें रांझू–फूलमू, कुंजू–चंचलों, राजा–गद्दन आदि की लोक कथाएं भी की जाती है । इसके अतिरिक्त बांठडे में लोकनाट्य जैसे– राजा हरिश्चंद्र, शिव-पार्वती, पूर्ण भक्त इत्यादि भी प्रस्तुत किए जाते है।
हरण प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रो में प्रस्तुत किया जाने वाला हरण नृत्य चम्बा में हरणातर, किन्नौर में हौरिंगफों और कुल्लू में होरण के नाम से जाना जाता है । इस लोक नाट्य के दो पक्ष होते है एक नृत्य पक्ष और दूसरा स्वांग पक्ष, नृत्य में तीन पात्र, हरण, बूढ़ी और कान्ह अपने पारंपरिक वेश भूषा में हिरण का रूप तैयार करके खलिहान में नृत्य करते है। नृत्य के उपरांत स्वागीं पक्ष प्रवेश करता है जो कि स्वागीं मुंह पर कई रंग और कई प्रकार के मुखौटे पहने होते हैं। ढोल नगाडे आदि धुनों पर सामाजिक परिवेश में घटित घटनाओं, समस्याओं सामाजिक बुराईयों तथा हास्य व्यंग्यों को जोड़ कर लोगों का मनोरंजन करते है।
भगत भगत लोक नाट्य का प्रचलन विशेषकर कांगड़ा, हमीरपुर, ऊना, बिलासपुर जनपद में है । भगत के निर्देशक को गुरू जी और अन्य कलाकारों को भगतिए कहा जाता है। स्त्री का अभिनय पुरूष ही करता है। भगत में गुरूजी पहले अलाव के इर्द -गिर्द घूमता हुआ अग्नि देवता का पूजन करता है । भगत में कृष्ण के लीला-गान मुख्य विषय होते है । भगत में एक पात्र को कृष्ण बनाया जाता है और चार- पांच सखियां बनायी जाती हैं। फिर इस में हंसी मजाक इत्यादि करके लोगों का मनोरंजन किया जाता है ।
करियाला करियाला हिमाचल प्रदेश का बहुचर्चित लोकनाट्य है । सिरमौर, शिमला और सोलन जिले इसके मुख्य क्षेत्र है । करियाला वर्ष भर किया जाने वाला लोक नाट्य है। करियाला के लिये किसी मंच की आवश्यकता नहीं होती यह त्यौहारों, मेलों, अनुष्ठानों, देवताओं के जागरण पर खुले प्रांगण में किया जाता है। इस में लोग इक्क्ठा होते है और खुले स्थान पर लकड़ियां इक्कठा करके अलाव जलाकर उसके चारों ओर लोग खडे हाते है। जिसे अखाड़ा भी कहते है। एक किनारे पर ढोलक, खंजरी, दमामटा, चिमटा, बांसुरी और नगाडा आदि वाद्ययंत्र लिए बंजतरी बैठ जाते है। चंदरौली करियाला का प्रमुख पात्र यह स्त्री वेशभूषा पहने पुरूष ही होती है। बजंतरियों द्वारा बधाई ताल बजते ही चंदरौली प्रवेश करती है। चंदरौली अपना अलाव का पूरा फेरा पूरा करने के उपरांत चारों दिशाओं से तीन-चार साधु अलख जगाते हुए मंच पर आतें है। इन साधुओं द्वारा समाज के ज्वलंत मुद्दों अंधविश्वासों, ज्ञानी-ध्यानी, मुनि- तपस्वी तथा तंत्र-मंत्र की बातों से लोगों का हास्य व्यंग्यों से मनोरंजन करते है ।
बरलाज हिमाचल प्रदेश में बरलाज के दो रूप है, कुछ स्थानों में बरलाज के नाम से स्थानीय भाषा में बलिराज की गाथा सुनाई जाती है। यह मूल रूप से गीति काव्य नाट्य है । कार्तिक की अमावस्या बूढ़ी दिवाली के नाम से मनाई और दर्शायी जाती है । यह लोकनाट्य सोलन व् सिरमौर में रामायण के प्रसंगों सहित प्रस्तुत किया जाता है । दीपावली के आस-पास देवताओं के मन्दिरों में मेले लगते हैं । रात को मन्दिर के सामने खुले आंगन/ मैदान में लकड़ियों के ढेर लगाकर गीट्ठा (घियाना) जलाया जाता है । सबसे पहले खेल के आरम्भ होते ही गीठे के चारो ओर देवता के वाद्य यंत्रों की धुनों में परिक्रमा की जाती है । देवता के चेला को खेल आती है और लोगों को चावल के दाने बांटता है । तब रामायण के अनेक प्रसंग प्रस्तुत किये जाते हैं । हनुमान से सम्बन्धित दृश्य को हणु, लक्ष्मण, सीता के प्रसंग दो-तीन कलाकार स्थानीय भाषा में प्रसंग गाकर प्रस्तुत करते हैं ।
अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राज्य व जिला स्तरीय मेले व उत्सव
क्रं | उप क्र | नाम | समय | अनुदान | अधिसूचना संख्या |
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अन्तर्राष्ट्रीय स्तरीय | |||||
1 | 1 | रेणुका उत्सव,सिरमौर | नवम्बर | तीन लाख | एलसीडी-सी-(15)-3/2005- दिंनाक-12.10.2011 |
2 | 2 | कुल्लू दशहरा मेला, जिला कुल्लू | अक्तूबर | तीन लाख | एल.सी.डी.-सी(15)-3/2016 दिनांक 07.04.2017 |
3 | 3 | शिवरात्री,मण्डी | फरवरी-मार्च | तीन लाख | एल.सी.डी.-सी(15)-3/2016-लूज दिनांक 20.02.2019 (राष्ट्र स्तर से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर) |
राष्ट्रीय स्तरीय | |||||
4 | 1 | ग्रीष्मोत्सव, शिमला | मई-जून | दो लाख | भाषा-ग (17)-12/86-पार्ट-1 दिंनाक 28.02.1997 |
5 | 2 | मिंजर मेला | चम्बा जुलाई का तीसरा सप्ताह | दो लाख | ………….यथोपरि………… |
6 | 3 | लवी, रामपुर | नवम्बर | दो लाख | ………….यथोपरि………… |
7 | 4 | विंटरकार्निवाल, मनाली | जनवरी | दो लाख | एलसीडी-एफ-(15)-3/2005- दिंनाक-22.10.2011 |
8 | 5 | होली, सुजानपुर, हमीरपुर | मार्च | दो लाख | एलसीडी-एफ-(15)-3/2005- दिंनाक-21.08.2010 |
9 | 6 | मसरूर उत्सव, जसवां,,कांगड़ा | दो लाख | एलसीडी-एफ-(15)-3/2005- दिंनाक-23.09.2012 राशि पर्यटन विभाग द्वारा | |
राज्य स्तरीय | |||||
10 | 1 | बैसाखी मेला, कालेश्वर, जिला कांगड़ा | अप्रैल | एक लाख | भाषा-ग (17)-12/86-पाट-1 दिंनाक 07.04.94 |
11 | 2 | रोहडू मेला, रोहडू, जिला शिमला | अप्रैल | एक लाख | ………….यथोपरि………… |
12 | 3 | नलवाड, मेला सुन्दरनगर, जिला मण्डी | अप्रैल | एक लाख | ………….यथोपरि………… |
13 | 4 | ग्रीष्मोत्सव, धर्मशाला, जिला कांगड़ा | मई जून | एक लाख | ………….यथोपरि………… |
14 | 5 | शूलिनी मेला, सोलन, जिला सोलन | जून | एक लाख | ………….यथोपरि………… |
15 | 6 | सोमभद्रा महोत्सव, ऊना | अक्तूबर | एक लाख | एलसीडी -सी-(15)-3/2010 दिंनाक-3.4.2010 |
16 | 7 | हमीर उत्सव, हमीरपुर | अक्तूबर | एक लाख | भाषा-ग (17)-12/86-भाग-1 दिंनाक 17.10.1995 |
17 | 8 | लोहड़ी मेला परागपुर, जिला कांगड़ा | जनवरी | एक लाख | एलसीडी-एफ-(4)-3/2008- दिंनाक-10.06.2009 |
18 | 9 | शिवरात्री, बैजनाथ, जिला कांगड़ा | फरवरी-मार्च | एक लाख | |
19 | 10 | नलवाडी, बिलासपुर, जिला बिलासपुर | मार्च | एक लाख | भाषा- सी(10)-1/84- दिंनाक 3.08.1985 |
20 | 11 | होली, पालमपुर, कांगडा | मार्च | एक लाख | भाषा-ग (17)-12/88-भाग-1 दिंनाक 07.04.1994 |
21 | 12 | दशहरा उत्सव, जैंसिहंपुर, कांगडा़ | अक्तुबर | एक लाख | एलसीडी-एफ-(15)-3/2005- दिंनाक-22.10.2011 |
22 | 13 | छेश्चू मेला, रिवालसर जिला मण्डी | मार्च | एक लाख | ………….यथोपरि………… |
23 | 14 | वामन द्वादशी मेला, सराहां, जिला सिरमौर | सितम्बर | एक लाख | एल.सी.डी-सी (15)-1/2013-एल-2 दिनांक 26.08.2017 |
24 | 15 | श्री सुकेत देवता मेला सुन्दरनगर मण्डी | चैत्र मास की पंचमी तिथि से आरम्भ होकर नवमीं तिथि तक | एक लाख | एल.सी.डी-सी (15)-3/2016 दिनांक 05.10.2018 |
25 | 16 | मेला जोगिन्द्रनगर मण्डी | 1 से 5 अप्रेैल | एक लाख | एल.सी.डी-सी (15)-1/2013-एल2 दिनांक 28.05.2019 (जिला स्तरीय से राज्य स्तरीय) |
26 | 17 | यमुना शरद महोत्सव, सिरमौर | एक लाख | एल.सी.डी-सी (15)-4/2019दिनांक 18.09.2019 | |
राज्य स्तरीय जनजातीय मेंले/उत्सव | |||||
27 | 1 | लादरचा उत्सव, स्पिति | जुलाई | एक लाख | भाषा-ग (17)-12/86-भाग-1 दिंनाक 07.04.1994 |
28 | 2 | जनजातीय उत्सव, रिकांगपिओं | अक्तुबर-नवम्बर | एक लाख | भाषा-ग (17)-12/88-भाग-1 दिंनाक 30.05.1995 |
29 | 3 | जनजातीय उत्सव, केंलाग | अगस्त | एक लाख | भाषा-सी(10)-84-दिंनाक 18.11.1985 |
30 | 4. | मणिमहेश, भरमौर चम्बा | सितम्बर | एक लाख | भाषा-सी(10)-84-दिंनाक 03.08.1985 |
31 | 5. | गुरू साड.ज्ञास (गुरू-छन-ज्ञद) मेला, रारंग, जिला किनौैर | जून-जुलाई | एक लाख | एल.सी.डी.-सी (15)-3/2016 दिनांक 21.09.2017 |
जिला स्तरीय मेले | |||||
32 | 1 | बैसाखी मेला ज्वाली नूरपुर, जिला कांगड़ा | अप्रेैल | 30,000 | भाषा-ग(17)12/86-भाग-1 दिंनाक 07.04.94 |
33 | 2 | बैसाखी मेला राजगढ सिरमौर | अपै्रेल | 30,000 | …………..यथोपरि…………… |
34 | 3 | नलवाडी मेला करसोग, जिला मण्डी | अप्रेैल | 30,000 | एलसीडी-एफ-(4)1/99 दिंनाक 17.10.95 |
35 | 4 | कुथाह मेला थुनाग मण्डी | अपेै्रेल | 30,000 | एलसीडी-एफ-(4)1/99 दिंनाक 15.05.2000 |
36 | 5 | पशु मेला ख्योड गोहर जिला मण्डी | अपै्रेल | 30,000 | ……………यथोपरि……………..दिंनाक 7.9.2005 |
37 | 6 | मेला आनी कुल्लू | मई | 30,000 | भाषा-ग (17)12/86- भाग -1 दिंनाक 7.4.94 |
38 | 7 | मेला बंजार, कुल्लू | मई | 30,000 | भाषा-ग(17)12/86-भाग -1 दिंनाक 7.4.94 |
39 | 8 | सायर मेला, अर्की, | सोलन | 30,000 | एलसीडीएफ-(4)1/99-दिंनाक 14.07.2006 |
40 | 9 | मांहूनाग मेला करसोग, मण्डी | मई | 30,000 | एलसीडीएफ-(4)1/99-दिंनाक 31.03.2006 |
41 | 10 | नागिनी उत्सव नूरपुर, जिला कांगड़ा | सितम्बर | 30,000 | भाषा-सी(10)-84-दिंनाक 3.6.1985 |
42 | 11 | सीपुर मेला मशोबरा, शिमला | अप्रैल | 30,000 | एलसीडी-सी(15)3/2005-दिंनाक 08.06.2007 |
43 | 12 | दशहरा मेला सराहन | अक्तूबर | 30,000 | ……………यथोपरि…………….. |
44 | 13 | दशहरा मेला, शाहपुर, कांगड़ा | अक्तूबर | 30,000 | एलसीडी-एफ-(15)-3/2005- दिंनाक-22.09.2012 |
45 | 14 | बूढी दिबाली निरमण्ड कुल्लू | नवम्बर | 30,000 | एलसीडी-सी(15)3/2005-दिंनाक 02.01.2006 |
46 | 15 | बाल दिवस मेला बागथन सिरमौर | नवम्बर | 30,000 | भाषा-ग(17)12/85-भाग -1 दिंनाक 17.10.1995 |
47 | 16 | शिवरात्री मेला काठगढ जिला कांगडा | फरवरी-मार्च | 30,000 | भाषा-सी(10)-84-दिंनाक 03.08.1985 |
48 | 17 | फाग मेला रामपुर, जिला शिमला | फरवरी | 30,000 | भाषा-ग(17)12/86-भाग -1 दिंनाक 07.04.1994 |
49 | 18 | एकादशी मेला देवठी, मझगांव,, सिरमौर | अक्तुबर-नवम्बर | 30,000 | एलसीडी-एफ-(15)-3/2005- दिंनाक-22.10.2011 |
50 | 19 | ऐतिहासिक मेला पिपलू, बंगाना,ऊना | मई-जून | 30,000 | एलसीडी-एफ-(15)-3/2005- दिंनाक-22.10.2011 |
51 | 20 | ऋषि मार्कण्डेय कृषक विकास एवं पशुपालक सायर मेला, बिलासपुर | सितम्बर | 30,000 | एलसीडी-एफ-(15)-3/2005- दिंनाक-22.10.2011 |
52 | 21 | फतेह दिवस नादौन, हमीरपुर | मार्च | 30,000 | एलसीडी-एफ-(15)-3/2005- दिंनाक-22.10.2011 |
53 | 20 | छावनी वीर देवता महाराज,जुब्ब्ल, जिला शिमला | जून | 30,000 | एलसीडी-सी(15)3/2005-दिंनाक 31.08.2012 |
54 | 23 | देवता बालीचैकी, चच्योट,मण्डी | अप्रैल | 30,000 | एलसीडी-सी(15)3/2005-दिंनाक 31.08.2012 |
55 | 24 | सैंज मेला, कुल्लू | अप्रैल | 30,000 | एलसीडी-सी(15)3/2005-दिंनाक 23.04.2012 |
56 | 25 | रैयली मेला, ठियोग, जिला शिमला | अगस्त | 30,000 | एलसीडी-सी(15)3/2005-दिंनाक |
57 | 26 | जन्माष्टमी मेला नुरपुर, जिला कांगड़ा | अगस्त | 30,000 | एलसीडी-सी(15)3/2005-दिंनाक |
58 | 27 | दशहरा मेला धर्मशाला, जिला कांगड़ा | अक्तूबर | 30,000 | एलसीडी-सी(15)1/2013-दिंनाक 25.09.2014 |
59 | 298 | दशहरा मेला कुठाड़, सोलन | अक्तूबर | 30,000 | एलसीडी-सी(15)1/2005-दिंनाक 25.09.2014 |
60 | 29 | दशहरा मेला सुन्नी, जिला शिमला | अक्तूबर | 30,000 | एलसीडी-सी(15)1/2005-दिंनाक 25.09.2014 |
61 | 30 | एकादशी मेला, बलग, तह० ठियोेग, जिला शिमला | अक्तूबर | 30,000 | एलसीडी-सी(15)1/2005-दिंनाक 01.11.2014 |
62 | 31 | देव हरसिंह मेला, चनावग, जिला शिमला | अप्रैल | 30,000 | एलसीडी-सी(15)1/2005-दिंनाक 24.04.2015 |
63 | 32 | नलवाड मेला, भगंरोटू, तह० बल्ह, जिला मण्डी 14, | मार्च | 30,000 | एलसीडी-सी(15)1/2013-दिंनाक 04.03.2016 |
64 | 33 | किसान मेला, पधर, तह० पधर, जिला मण्डी | 15-19 अप्रैल | 30,000 | एलसीडी-सी(15)1/2013-दिंनाक 04.03.2016 |
65 | 34 | लिदबड़ मेला, नगरोटा बगवां, जिला कांगड़ा | 25.27, मार्च | 30,000 | एलसीडी-सी(15)1/2013-दिंनाक 04.03.2016 |
66 | 35 | माता चण्डी देवी जातर (मेला), दून विधान सभा क्षेत्र, जिला सोलन | मई | 30,000 | एलसीडी-सी(15)1/2013-दिंनाक 04.03.2016 |
67 | 36 | गाहर गाच (गडसा) मेला, तह० भून्तर, जिला कुल्लू | 14 मई से 14 जून | 30,000 | एल.सी.डी(15)-1/2013 दिनांक 01.08.2016 |
68 | 37 | ग्रीष्मोत्सव घुमारवीं, जिला बिलासपुर | 5 अप्रैल से 9 अप्रैल | 30,000 | एल.सी.डी-सी(15)-3/2016 दिनांक 14.09.2016 |
69 | 38 | छिंज मेला सल्याणा, जिला कांगड़ा | मार्च | 30,000 | एल.सी.डी-सी(15)-1/2013-एल-1 दिनांक 18.02.2017 |
70 | 39 | अक्षैणा मेला, जिला कांगड़ा | मार्च | 30,000 | एल.सी.डी-सी(15)-1/2013-एल-1 दिनांक 18.02.2017 |
71 | 40 | श्री शीतला माता मेला (डैहर) जिला मण्डी | 23 मई से 25 मई | 30,000 | एल.सी.डी-सी(15)-1/2013-एल-2 दिनांक 06.03.2017 |
72 | 41 | पराशर मेला, जिला मण्डी | जून | 30,000 | एल.सी.डी.-सी(15)-3/2016 दिनांक 13.06.2017 |
73 | 42 | माँ नगरकोटि मेला, नारग, जिला सिरमौर | विक्रमी सम्वत के शुभारम्भ पर प्रथम नवराजे | 30,000 | एल.सी.डी-सी (15)-3/2016 दिनांक 16.08.2017 |
74 | 43 | राम नवमी मेला, नैना टिक्कर, जिला सिरमौर | चैत्र नवराजे | 30,000 | एल.सी.डी-सी (15)-3/2016 दिनांक 16.08.2017 |
75 | 44 | गुग्गा नवमी मेला, पबियाना (धावग) जिला सिरमौर | जन्माष्टमी के अगले दिन | 30,000 | एल.सी.डी-सी (15)-3/2016 दिनांक 16.08.2017 |
76 | 45 | माता गाडा दुर्गा गुसैण मेला, जिला मण्डी | 13 से 15 श्रावण मास | 30,000 | एल.सी.डी-सी (15)-1/2013-एल-2 दिनांक 16.08.2017 |
77 | 46 | देवता साहिब लक्ष्मीनारायण नोगली मेला, जिला शिमला | 12,13 व 14 आषाढ़ जून मास | 30,000 | एल.सी.डी-सी (15)-1/2013-एल दिनांक 07.10.2017 |
78 | 47 | रामपुरी मेला, जिला शिमला | 17 व 18 जुलाई | 30,000 | एल.सी.डी.-सी(15)-1/2013 दिनांक 11.10.2017 |
79 | 48 | हरोली उत्सव, जिला ऊना | अप्रैल | 30,000 | एल.सी.डी.-सी(15)-1/2013 दिनांक 11.10.2017 |
80 | 49 | पंजयाली मेला, ग्राम पंचायत खटनोल, जिला शिमला | नवम्बर | 30,000 | एल.सी.डी.-सी(15)-1/2013 दिनांक 11.10.2017 |
81 | 50 | होली मेला उत्सव धीरा जिला कांगडा प्रतिवर्ष | मार्च | 30,000 | एल.सी.डी.-सी(15)-3/2016 एल दिनांक 28.09.2018 |
82 | 51 | मकर सक्रांति मेला ततापानी (सुन्नी) जिला मण्डी | 9 जनवरी से 14 जनवरी (प्रतिवर्ष) | 30,000 | एल.सी.डी.-सी(15)-4/2018 एल दिनांक 14.01.2019 |
83 | 52 | माता मनसा देवी मेला, धर्मपुर जिला सोलन | अप्रैल, चैत्र मास के नवरात्रों में रामनवमी के दिन | 30,000 | एल.सी.डी.-सी(15)-3/2016 एल दिनांक 30.01.2019 |
84 | 53 | लोहडी मेला, ग्राम पंचायत पीपलू, विकास खण्ड धर्मपुर, जिला मण्डी | 13,14व 15 जनवरी | 30,000 | एल.सी.डी.-सी(15)-3/2016 एल दिनांक 30.01.2019 |
85 | 54 | कोटखाई उत्सव, जुब्बल कोटखाई जिला शिमला | इस वर्ष 19 व 20 जून, 2018 | 30,000 | एल.सी.डी.-सी(15)-1/2013 एल 1 दिनांक 30.01.2019 |
86 | 55 | सिराज दीप उत्सव थुनाग मण्डी | दिपावली के उपलक्ष्य में हर वर्ष मनाया जाता है | 30,000 | एल.सी.डी.-सी(15)-4/2018 दिनांक 28.05.2019 |
87 | 56 | नलवाड़ मेला लम्बाथाच, थुनाग मण्डी | 7 से 12 सितम्बर | 30,000 | एल.सी.डी.-सी(15)-4/2018 दिनांक 22.07.2019 |
88 | 57 | बैसाखी नलवाड़ मेला, झण्डूता, जिला बिलासपुर | 13 से 17 अप्रैल प्रतिवर्ष | 30,000 | एल.सी.डी-सी(15)-3/2016 पार्ट दिनांक 18.01.2020 |
89 | 58 | नलवाड़ मेला, सुन्हानी जिला बिलासपुर | 01 से 04 अप्रैल प्रतिवर्ष | 30,000 | एल.सी.डी-सी(15)-3/2016 पार्ट दिनांक 18.01.2020 |
जिला स्तरीय जनजातीय मेले | |||||
90 | 1. | पोरी उत्सव, त्रिलोकी नाथ | अगस्त | 30,000 | भाषा-सी (10)-84-दिंनाक 03-08-1985 |
91 | 2 | फुलाइच उत्सव, रिब्बा, किन्नौर | मार्च | 30,000 | ……………यथोपरि………… |
92 | 3 | छतराडी मेला, चम्बा | सितम्बर | 30,000 | ……………यथोपरि…………….. |
93 | 4 | जन्माष्टमी मेला, युला किन्नौर | अगस्त | 30,000 | |
94 | 5 | फूल यात्रा मेला, पांगी, भरमौर | अक्तूबर | 30,000 |