विपाशा पत्रिका

हिमाचल प्रदेश के साहित्य, संस्कृति, कला और इतिहास के संरक्षण, संवर्द्धन तथा इनके प्रचार-प्रसार का दायित्व प्रदेश सरकार का भाषा एवं संस्कृति विभाग अपने अस्तित्व में आने के बाद से निरन्तर निभाता आ रहा है। प्रदेश के साहित्यकारों, कलाकारों और रंगकर्मियों को उपयुक्त मंच उपलब्ध करवाने और उन्हें देशभर के साहित्य और सांस्कृतिक फलक से जोड़ने की कड़ी का निर्वहन भी विभाग ही करता है।

साहित्यिक विधाओं के निष्पादन हेतु विभाग द्वारा अप्रैल 1985 से द्वैमासिक पत्रिका, विपाशा का प्रकाशन किया जा रहा है। विपाशा, हिमाचल प्रदेश की साहित्यिक थाती को राष्ट्रीय धारा के साहित्यिक माहौल से मेल करवाने में सेतु का काम करती है। पत्रिका में समकालीन साहित्य के साथ-साथ भारतीय दर्शन एवं इतिहास से सम्बंधित सामग्री भी समय-समय पर प्रकाशित की जाती है। देशभर के नामचीन साहित्यकार विपाशा में प्रकाशित हो चुके हैं। अतः पत्रिका अपने प्रकाशन के प्रारम्भ से लेकर वर्तमान तक अपने स्तर को बनाए रखने में कामयाब रही है।

हिमाचल प्रदेश के सुधी साहित्यकार विपाशा में प्रकाशित होने पर गौरव अनुभव करते हैं। पत्रिका की विषयवस्तु में समकालीन साहित्य से लेकर हिमाचली लोक-साहित्य, लोक-परम्पराएँ, तीज-त्यौहार तथा यहाँ के पारम्परिक रीति-रिवाजों पर शोध लेख भी प्रकाशित किए जाते हैं। पत्रिका में प्रदेश के ऐतिहासिक और सुप्रसिद्ध कलात्मक विशेषता लिए मंदिरों, किलों और अपने में प्राचीन इतिहास समेटे हुए स्मारकों के रंगदार चित्र भी प्रकाशित किए जाते है। यदा-कदा प्राकृतिक दृश्यों को दर्शाने वाले नैसर्गिक आभा लिए भूखण्डों, वनराशियों और हिमाच्छादित पर्वत मालाओं के चित्र भी पत्रिका के आवरण पृष्ठों को शोभायमान करते हैं।

राष्ट्र स्तर के लब्ध-प्रतिष्ठ साहित्यकारों का स्मरण करते हुए तथा उनके साहित्यिक अवदान को सूक्ष्म रूप में सुरक्षित रखने और सारस्वत धर्म के पालन की दृष्टि से समय-समय पर विशेषांक भी निकाले जाते रहे हैं, जिसकी एक लम्बी सूची है। पत्रिका की विषयवस्तु में शोध लेख, कविता, कहानी, नाटक एवं उपन्यास अंश, समीक्षा तथा लोक संस्कृति/शोध संस्कृति पर केन्द्रित रहती है। साहित्य के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्वाद बनाए रखने हेतु देशान्तर में अनूदित रचनाएँ भी जाती हैं। साथ ही प्रादेशिक भाषाओं के लिए अलग से भाषान्तर स्तम्भ भी निरन्तर रहता है।

भाषा एवं संस्कृति विभाग के कार्यक्षेत्र को देखते हुए वर्ष 1985 में विभाग की ओर से हिन्दी साहित्य की पत्रिका ‘विपाशा’ का प्रकाशन आरम्भ किया गया । यह द्वैमासिक पत्रिका साहित्य, संस्कृति एवं कला को समर्पित है । इस का उद्देश्य पाठकों को रचनात्मक साहित्य की विभिन्न विधाओं के साथ कला, संस्कृति विषयक स्तरीय सामग्री उपलब्ध करवाना है । यह पत्रिका प्रदेश की ओर से राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में खुलने वाले रचनात्मक गवाक्ष की भांति है । पत्रिका अपने प्रकाशन के 35 वर्ष पूरे कर चुकी है । यह प्रदेश तथा देश के रचनाकारों के मध्य आदान-प्रदान के उद्देश्य की पूर्ति करती है । इस पत्रिका के माध्यम से विभिन्न पीढ़ियों के रचनाकारों को एक साथ मंच मिल पाता है और रचनाकारों के प्रोत्साहन, पाठकों के अध्ययन तथा शोधार्थियों के शोध के लिए यह पत्रिका दूरगामी महत्त्व की है ।

 पत्रिका के प्रकाशित विशेषांक

क्रमांक नाम
1 कहानी विशेषांक, अंक-7
2 किन्नर कविता शिविर, अंक-12
3 वागर्थ विश्व कविता उत्सव, अंक-26
4 अमृता शेरगिल, अंक-43
5 शमशेर बहादुर सिंह, अंक-50
6 राहुल सांस्कृत्यायन, अंक-51
7 ज. स्वामीनाथन, अंक-58
8 बौद्ध संस्कृति, अंक-66
9 कहानी, अंक-70-72
10 सुभाष चन्द्र बोस, अंक-73
11 सरदार सोभा सिंह, अंक-93
12 शतक, अंक-100-102
13 यशपाल, अंक-107,167
14 मण्डी, अंक-111
15 प्रेम चन्द, अंक-112,171-172
16 राजभाषा , अंक-117
17 निर्मल वर्मा, अंक-119,160
18 चम्बा, अंक-122
19 कविता, अंक-123-124
20 स्वतन्त्रता संग्राम, अंक-128
21 शिमला, अंक-130-131
22 भूरि सिंह संग्रहालय शताब्दी, अंक-135
23 कहानी प्रतियोगिता, अंक-138-140
24 कवि चतुष्टय (अज्ञेय, शमशेर, नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल)- अंक-154-155
25 पं. चन्द्रधर शर्मा गुलेरी, अंक-165-166
26 भवानी प्रसाद मिश्र, अंक-168
27 केदारनाथ सिंह, अंक-195

पत्रिका के नियमित स्तम्भ

क्रमांक नाम
1 पाठकीय (पाठकों की प्रतिक्रियाएँ)
2 संपादकीय
3 हिन्दी कविता, कहानी, निबन्ध, लेख आदि मुख्य विधाएँ
4 भाषांतर (भारतीय भाषाओं की रचनाओं के अनुवाद)
5 देशांतर (विदेशी  भाषाओं की रचनाओं के अनुवाद)
6 संस्कृति-शोध (कला-संस्कृति सम्बन्धी शोध लेख)
7 समीक्षा (पुस्तकों की समीक्षाएँ)
8 आयोजन (साहित्य ,कला, संस्कृति सम्बन्धी आयोजनों की रपटें)
9 पाहुन (प्रदेश के बाहर से आगन्तुक लेखकों द्वारा हिमाचल की पृष्ठभूमि पर लिखी गई रचनाएँ)

  • पत्रिका प्रकाशन : द्वैमासिक ( पंजी. क्र. 42497/85)
  • आकार: 16×24 सैं.मी.
  • कुल पृष्ठ : सामान्य अंकः 96
  • विशेषांक : 96-320
  • आवरण: बहुरंगी, भीतरी पृष्ठ : एक रंग